छोटे बच्चे अक्सर बोलते समय शब्दों के उच्चारण में गलतियां करते है क्योंकि वो अपनी भाषा के ज्ञान को विकसित कर रहे होते है। ऐसे में किसी शब्द को बोलते समय गलती करना कोई गंभीर समस्या नहीं है। पर यदि यह प्रक्रिया लगातार चलती रहे, और बच्चे की आदत में शामिल हो जाये, तब असली समस्या होती है। पर आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है क्योंकि लिस्पिंग के घरेलु उपचार और अभ्यास इसमें आपकी मदद कर सकते है।
हालाँकि यह सभी उपचार बेहद आसान और प्रभावकारी है, और इनसे मिलने वाला लाभ बहुत हद तक आपके जीवन में खुशियाँ भर सकता है।
अगर आप बोलने संबंधी किसी भी समस्या का समाधान या फिर लिस्पिंग के सम्बन्ध में अधिक जानकारी चाहते है तो 1800-121-4408 (निःशुल्क ) पर हमसे संपर्क करें।
तो चलिए अब बात करते है की लिस्पिंग के घरेलु उपचार क्या है? और यह किस प्रकार से आपके बच्चे की सहायता कर सकते है? पर उससे पहले आपको यह जानना जरुरी है की लिस्पिंग (तुतलाना) क्या है?
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
लिस्पिंग (तुतलाना) क्या है?
जब एक छोटा बच्चा नए नए शब्दों को बोलना सीख रहा होता है। तब उनके उच्चरण में गलतियां करता है। यदि यह गलतियां लगातार होती रहें? तो यह लिस्पिंग की समस्या कहलाती है। जो की भाषा विकार (स्पीच डिसऑर्डर) का ही एक प्रकार होता है। इसके अंतर्गत बच्चा अपनी बोली को शुद्ध करने के प्रयास में विफल रहता है।
जिससे वह न चाहते हुए भी लगातार किसी शब्द के उच्चारण में एक सामान गलती करता रहता है। ऐसे बच्चे अक्सर दूसरों के लिए हंसी का पात्र बन जाते है। और अन्य लोग अथवा बच्चे उनका मज़ाक उड़ाते है। वैसे तो तुतलाना (लिस्पिंग) और हकलाना (स्टटरिंग) दोनों आपस में सम्बन्ध रखते है।
क्योंकि बच्चा इन दोनों से पीड़ित हो सकता है। पर हकलाते समय बच्चा बोलते-बोलते किसी शब्द पर अटक जाता है। और तुतलाने के समय किसी शब्द का ग़लत उच्चारण कर देता है, जैसे “s” की जगह “z” बोलना आदि।
लिस्पिंग के प्रकार और घरेलु उपचार
लिस्पिंग वाणी विकार के बहुत से अंग होते है। जिसका मतलब यह है की शब्दों के उच्चरण में समस्या कई प्रकार से होती है। क्योंकि सिर्फ शब्दों को गलत बोलना ही एकमात्र परेशानी नहीं है। किसी शब्द को बोलते समय आपके मुँह के अलग हिस्से भिन्न उच्चारण करने के काम आते है।
इसलिए आपकी जीभ, तालु, दांत और हवा को बाहर छोड़ने की कला के विभिन्न संयोजनों से उच्चारण की अलग ध्वनियाँ निकलती है। इसलिए लिस्पिंग के प्रकार भी अलग होते है। जो किसी खास स्थिति में किसी खास शब्द को बोलने में समस्या उत्पन्न करते है।
लेकिन आपको यह जान कर ख़ुशी होगी की लिस्पिंग का घरेलु इलाज इन सभी प्रकारों को ठीक करने में सहायता प्रदान करता है। यह धीरे-धीरे शब्दों के उच्चरण को साफ करता है। जिससे पीड़ित बच्चा इनके लगातार उपयोग से ठीक से बोलने लगता है।
लिस्पिंग के यह सभी प्रकार निम्नलिखित है –
- इंटरडेंटल लिस्प : जब जीभ सामने के दांतों में फैलती है तो s या z का उच्चारण th जैसा होता है।
- डेंटलाइज़्ड लिस्प : जब जीभ सामने के दांतों को बलपूर्वक धक्का देती है तब यह होता है।
- लेटरल लिस्प : जब छोड़ी गयी हवा जीभ के चारों और बहती है तो L की ध्वनि निकलती है।
- पैलेटल लिस्प : जब जीभ का अगला हिस्सा तालु को छूता है, तब ध्वनि उत्पन्न होती है।
- नेसल लिस्प : जब शब्द बोलते समय हवा आपकी नाक से बहार निकलती है तब यह होता है।
- स्ट्राइडेन्ट लिस्प : जब जीभ और दांतों के बीच से गुजरने वाली हवा सीटी जैसी सुनाई देती है।
लिस्पिंग के संकेत और घरेलु उपचार
जब किसी वर्ण अथवा शब्द को बोलने में होने वाली गलतियां किसी खास वजह से होती है। और और बच्चा बार-बार ऐसा करता है। तो वह अपने व्यवहार में अथवा वर्तमान स्थिति के अनुसार कुछ खास संकेत प्रदर्शित करता है। जिनसे आपको यह अंदाजा हो जाता है की बच्चा सिर्फ गलत बोलने का नाटक कर रहा है? या वह लिस्पिंग भाषा विकार से पीड़ित है?
यह सभी संकेत या लक्षण निम्नलिखित है –
- कुछ वर्णो का ठीक से उच्चरण न कर पाना
- s को z अथवा th की तरह उच्चारण करना
- बच्चा हकलाने की समस्या से ग्रस्त होना
- बोलते समय जीभ पर नियंत्रण न होना
- शब्दों के साथ सीटी की आवाज निकलना
- हवा मुँह की जगह नाक में से निकलना
लिस्पिंग के घरेलु नुस्खे इन सभी लक्षणों को कम करने में सहायता प्रदान करते है। जिससे बच्चे द्वारा बोले जाने वाले शब्दों के उच्चारण में सुधार होता है। और वह अन्य सामान्य बच्चों की तरह ही साफ़ और स्पष्ट रूप से शब्दों का सही उच्चारण करने लगता है। इसमें कुछ समय लगता है पर इन उपचारों से लाभ अवश्य प्राप्त होता है।
लिस्पिंग के कारक और घरेलु उपचार
भाषा विकलांगता की इस समस्या के होने की वजहें वहुत सी हो सकती है। जिनके कारण शब्दों को बोलते समय बच्चे को परेशानी का अनुभव होता है। और वह सही प्रकार से उन शब्दों का स्पष्ट उच्चरण करने में असमर्थ रहता है। लिस्पिंग के आयुर्वेदिक उपचार का निरंतर उपयोग करने से यह इस समस्या के इन सभी कारकों को धीर-धीरे समाप्त कर समस्या को जड़ से ख़त्म कर देते है।
लिस्पिंग के यह सभी कारक निम्नलिखित है –
- मुँह में छाले होना
- जीभ चिपकी होना
- मुँह में चोट लगना
- निगलने में समस्या
- जीभ में कमजोरी होना
- जीभ में सूजन होना
- चबाने में समस्या होना
- बोलने में समस्या होना
- स्वास सम्बन्धी विकार
- तनाव की समस्या होना
- बच्चे को एलर्जी होना
लिस्पिंग के घरेलु उपचार कौन से है?
अब आप यह जान गए होंगे की लिस्पिंग की समस्या क्या है? और यह किन कारणों से होती है? साथ ही यह क्या लक्षण प्रदर्शित करती है? और इसके प्रकार कौन कौन से है? तो चलिए अब हम बात करते है इसके इलाज की, लिस्पिंग की समस्या के घरेलु उपचार कौन से है? और इन्हे कैसे इस्तेमाल करना है? यह हम आपको बताएँगे।
लिस्पिंग से निजात पाने के यह सभी उपचार निम्नलिखित है –
1. आंवला
आंवला का आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह बहुत पुराने समय से प्रयोग की जाने वाली गुणकारी औषधि है। जो की कई रोगों को जड़ से समाप्त करने का काम करती है। साथ ही यह बच्चे के तुतलाने और हकलाने की समस्या का भी इलाज करती है। इसे कच्चा चबाने से बहुत से लाभ प्राप्त होते है। यह बहुत ही आसानी से आपको प्राप्त हो सकती है।
प्रयोग विधि : इसके लिए आपको बहुत अधिक मेहनत करने की आवस्यकता नहीं है। आपको सिर्फ बाजार से कुछ ताजे आंवला लेकर आने है। और उन्हें अच्छी तरह धोकर उनके छोटे छोटे टुकड़े काट लें। आपको इन्हे प्रतिदिन चबाकर खाना है। हालाँकि इसका स्वाद आपको कुछ नापसंद आ सकता है। पर यकीन मानिये इसके प्रयोग से आपकी समस्या में लाभ जरूर मिलेगा।
2. बादाम
बादाम के लाभ से तो आप परिचित होंगे ही, इसमें काली मिर्च और मिश्री को मिला देने से इसकी विशेषता कई गुना अधिक बढ़ जाती है। इसलिए यह बहुत लम्बे समय से इस्तेमाल की जाने वाली रामबाण औषधि है जो लिस्पिंग और स्टटरिंग की समस्या में निश्चित लाभ प्रदान करती है। इसके इस्तेमाल की विधि निम्नलिखित है।
प्रयोग विधि : इसके लिए आपको एक मिश्रण तैयार करना होगा। और उस मिश्रण को बनाने के लिए आपको 7 बादाम, 7 काली मिर्च, और आवस्यकता अनुसार पीसी हुई मिश्री चाहिये। आप बादाम और काली मिर्च को एक साथ बारीक पीस लें। फिर इस मिश्रण में जरुरत के अनुसार मिश्री मिला कर इसका पेस्ट बनायें। पीड़ित बच्चे को सुबह खाली पेट प्रतिदिन यह मिश्रण दें लाभ अवश्य मिलेगा।
3. तेजपत्ता
तेज पत्ता सिर्फ आपके भोजन को सुगन्धित बनाने का काम नहीं करता है। इसके कई अन्य फायदे भी है। यह एक बहुत लाभकारी औषधि है जो कई समस्याओं में लाभ प्रदान करती है और तुतलाने या लिस्पिंग की समस्या को भी कम करती है। इसके प्रयोग से भाषा का उच्चारण शुद्ध होता है।
प्रयोग विधि : इसका प्रयोग करने के लिए किसी विधि की आवस्यकता नहीं है। इसे सामान्य रूप में ही इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको बस कुछ तेजपत्ते लेने है, और इन्हे साफ करके इनके छोटे टुकड़े करने है। फिर इन 2-3 पत्तों को जीभ के नीचे रखना है। इन्हे जीभ के नीचे रखकर बोलने से उच्चारण साफ़ होता है।
4. गुणकारी दूध
दूध अपने आप में एक सम्पूर्ण आहार है। यह शरीर को शक्ति प्रदान करता है और ऊर्जावान बनाता है। इसमें कुछ प्रकार की लाभकारी औषधियों को मिलाकर इसके प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है। जिससे की यह शब्दों के उच्चरण में समस्या को कम करने में सहायता प्रदान कर सकती है। आइये इसे बनाने की विधि जानते है।
प्रयोग विधि : इसके लिए आपको सही मात्रा में कुछ आवश्यक सामग्रियों को लेना है। यह सभी सामग्रियां निम्नलिखित है –
- 50 ग्राम बादाम
- 200 ग्राम पिस्ता
- 10 ग्राम चांदी का वर्क
- 10 ग्राम दालचीनी
- 3 ग्राम लौंग
- 3 ग्राम केसर
- 250 ग्राम शहद
इन सभी को निश्चित मात्रा में एकत्रित कर लें। इन सभी सामग्रियों को एक साथ मिलाकर घिस लें या बारीक पीस लें। उसके बाद इन्हे शहद में मिलकर अच्छे से फेंट लें, जब तक यह शहद में पूरी तरह मिल न जाएँ। फिर इस मिश्रण को किसी बोतल में भरकर सुरक्षित रख लें। प्रतिदिन इस मिश्रण की 2 ग्राम मात्रा को 250 ग्राम दूध के साथ पीड़ित बच्चे को सुबह पीने के लिए दें। वयस्कों के लिए मात्रा दुगनी कर दें।
5. काली मिर्च
काली मिर्च एक बहुत लाभकारी औषधि है जो की बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं में प्रयोग की जाती है साथ ही यह लिस्पिंग की समस्या को दूर करने की विधि में भी इस्तेमाल की जाती है। इसे आप कई प्रकार से प्रयोग कर सकते है। यह बच्चे के शब्दोच्चारण की शुद्ध करने में सहायता प्रदान करती है। और समस्या को धीरे-धीरे समाप्त करती है।
प्रयोग विधि : इसके लिए आपको बाजार से साफ काली मिर्च लानी है, और इसके दो दाने लेकर चबाने है। आप इन्हे अच्छी तरह चबाकर बारीक कर लें और निगल जाएँ। प्रतिदिन दिन में दो बार इनके प्रयोग से आपके मुँह और वाणी के विकार दूर हो जायेंगे और साफ उच्चरण में सहायता प्राप्त होगी। यह पेट की समस्याओं में भी लाभ प्रदान करती है।
6. सौंफ के बीज
सौंफ ठंडक प्रदान करने वाली औषधि है। जो की भोजन को पचाने का काम करती है। और मुँह की दुर्गन्ध को भी दूर करती है। साथ ही इसके प्रयोग से लिस्पिंग की समस्या में बहुत लाभ प्राप्त होता है। क्योंकि यह बच्चे के हकलाने और तुतलाने को कम करने में मदद करती है, और वाणी को शुद्ध करती है।
प्रयोग विधि : इसका प्रयोग करने के लिए आपको कुछ अन्य वस्तुओं की आवस्यकता पड़ेगी। इन सभी वस्तुओं को मिलाकर आपको एक मिश्रण तैयार करना होगा। यह सभी आवश्यक वस्तुएं निम्न है –
- 5 ग्राम सौंफ
- 300 ग्राम पानी
- 50 ग्राम मिश्री
- 250 ग्राम गाय का दूध
इन सभी वस्तुओं को एकत्रित कर लें। अब सौंफ को लें और इसे मोटा दरदरा कूट लें। फिर इस कुटी हुई सौंफ को 300 ग्राम पानी में डालकर उबलने के लिए रख दें। इसे तब तक उबलने दें जब तक पानी एक तिहाई (लगभग 100 ग्राम) न रह जाये। अब इसमें मिश्री और दूध डालकर अच्छी तरह मिलाएं। बच्चे को सोने से पहले प्रतिदिन यह मिश्रण दें। कुछ दिन इस्तेमाल करने से लाभ होगा।
लिस्पिंग के लिए अन्य अभ्यास
लिस्पिंग से ग्रस्त होने पर स्पीच थेरेपी के कुछ अभ्यास करना बहुत लाभकारी होता है। हालाँकि उपरोक्त घरेलु नुस्खों को इस्तेमाल करने से भी लाभ अवश्य मिलता है। पर यदि इसके साथ कुछ जरुरी अभ्यास भी किये जाएँ तो इनका परिणाम और बेहतर हो सकता है। क्योंकि यह अभ्यास मुँह और जीभ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने का काम करते है।
यह सभी घरेलु अभ्यास निम्नलिखित है –
1. अपनी समस्या पहचाने
आपको जिन वर्णों या शब्दों के उच्चारण में समस्या आती है। उन सभी को पहचाने और उनकी एक सूची बनायें। यदि आपको ऐसा करने में समस्या आ रही है तो आप अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों की सहायता ले सकते है। इन सभी सूचीबद्ध शब्दों या वर्णों को प्रतिदिन दोहराएं।
और इनका सही उच्चरण करने का प्रयास करें। आप चाहें तो आईने के सामने खड़े होकर भी इनका अभ्यास कर सकते है। इन्हे बार-बार दोहराने से आपको इनका सही उच्चरण करने में सहायता मिलेगी।
2. नलिका से पानी पिये
बहुत से स्पीच थेरेपिस्ट (भाषा चिकित्सक) यह मानते है की लिस्पिंग से ग्रस्त बच्चों को एक खोखली नलिका (स्ट्रॉ) के माध्यम से पानी अथवा कोई भी अन्य तरल पदार्थ पीने से लाभ प्राप्त होता है। यह एक बेहद आसान पर बहुत असरदार अभ्यास है।
क्योंकि ऐसा करने से उन्हें जीभ को आगे धकेलने के स्थान पर पीछे खींचना पड़ता है। इससे जीभ की मांसपेशियों पर अतिरिक्त खिंचाव पड़ता है, और उन्हें मजबूती मिलती है। प्रतिदिन कुछ भी पीते समय यह अभ्यास करने से लाभ होता है।
3. दूसरे वर्ण को दोहराएं
लिस्पिंग की समस्या के अंतर्गत जब आपको किसी वर्ण या शब्द को बोलने में कठिनाई होती है तो आप उस वर्ण या शब्द के स्थान पर कोई अन्य मिलता-जुलता वर्ण या शब्द बोलकर अभ्यास कर सकते है। इससे आपको वांछित वर्ण या शब्द बोलने में सहायता प्राप्त होगी।
उदाहरण के लिए यदि आपको “S” के उच्चारण में समस्या आती है तो आप इसके स्थान पर “T” को बहुत जल्दी और बार-बार बोलिये। इससे आपको “S” को ठीक से उच्चारण करने में सहायता मिलेगी।
4. तितली अभ्यास करें
यह एक सामान्य सा अभ्यास है जो की बहुत मजेदार है। इसे करने के लिए आपको अपनी जीभ के बाहरी हिस्से को दांत के किनारे पर रखना है, जैसे की एक तितली के पंख होते है। और अपने जीभ का मध्य भाग मोड़ना है जिससे उस पर हवा का संचार हो सके।
अब इस स्थिति में आपको उन वर्णो या शब्दों का उच्चरण करना है। जिन्हे आप ठीक से नहीं बोल पाते है, जैसे की “S” आदि। पहली बार में आपको मुश्किल आएगी पर इसका अभ्यास करते रहें जब तक आप सफलता प्राप्त नहीं कर लेते है।
निष्कर्ष व परिणाम
शब्दों को न बोल पाना अथवा उनका गलत उच्चरण करना कभी कभी आपको दूसरों के लिए मज़ाक का पात्र बना सकता है। जिससे आपको बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है। पर इससे घबराएं नहीं बल्कि यह सोचें की आप उनसे बेहतर कर सकते है। इसके लिए आपको थोड़े अभ्यास और दृढ़ निश्चय की जरुरत होती है। खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करें इसलिए नहीं की आपको दूसरों को यह दिखाना है बल्कि इसलिए क्योंकि आप यह कर सकते है। खुद पर भरोसा रखें और अभ्यास करते रहें सफलता जरूर मिलेगी।
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