आपके नन्हे बच्चे जब तोतली भाषा में या रुक रुक कर आपका नाम पुकारते है तो, आपको बड़ी ख़ुशी होती है। पर यदि यह व्यवहार बच्चे की आदत ही बन जाये तो यह किसी परेशानी से कम नहीं है। हालाँकि हकलाने या तुतलाने को बिमारी नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि यह बस एक आदत है। डॉक्टर द्वारा बताये अभ्यास से बच्चे के हकलाने का इलाज किया जा सकता है।
क्योंकि हकलाने की समस्या का सीधा सा सम्बन्ध आपके बच्चे का ठीक प्रकार से न बोल पाना है। इसमें हम आपके साथ है, और आपकी मदद करेंगे। हमारे अनुभवी डॉक्टरों की टीम आपके बच्चे को हकलाने, तुतलाने सम्बन्धी समस्या में स्पीच थेरेपी द्वारा उचित समाधान प्रदान करते है। आप आज ही हमसे संपर्क कर सकते है। साथ ही इस समस्या के सम्बन्ध में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस लेख को पढ़ें।
अगर आप हकलाने, तुतलाने संबंधी किसी भी समस्या का समाधान या फिर कम कीमत पर कान की मशीन ख़रीदना चाहते है तो 1800-121-4408 (निःशुल्क ) पर हमसे संपर्क करें।
तो चलिए जानते है की आखिर क्या है हकलाने की समस्या? और किस प्रकार से हकलाने का डॉक्टर इस परेशानी से निजात दिला सकता है?
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
हकलाना क्या है?
बोलते समय बार-बार अटकना, अपनी बात कहने में असमर्थता होना, किसी शब्द के उच्चारण को लम्बा खींचना, अथवा एक ही शब्द को बार बार दोहराना जैसी क्रिया हकलाना कहलाती है। हकलाना या तुतलाना मुँह व दिमाग के तालमेल में अनिश्चितता का परिणाम है। क्योंकि जब हम बोलते है, तो 100 से भी अधिक मांसपेशियां एक साथ कार्य करती है।
यह शब्दों का सही उच्चारण करने में सहायता करती है। पर कुछ वजहों से इस तालमेल में आयी गड़बड़ी के फलस्वरूप बच्चा ठीक से बोल नहीं पता है, और हकलाने या तुतलाने लगता है। हालाँकि किसी गाने को गाते समय ऐसे बच्चों को कोई ख़ास दिक्कत नहीं आती है। क्योंकि बातचीत के मुकाबले गाने को गाते समय बच्चे को शब्दों का चयन करने की जरुरत नहीं होती है।
इस कारण से दिमाग में कोई दबाव या तनाव नहीं होता है। वैसे तो छोटी उम्र में बच्चों का हकलाना या तुतलाना बहुत आम है क्योंकि लगभग 5 वर्ष की उम्र तक बच्चा अपने भाषा कौशल को विकसित करता है। पर यदि 10 वर्ष के बाद भी बच्चा ऐसा व्यवहार प्रदर्शित करते है तो फिर यह गंभीर चिंता का विषय है। और आपको इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए।
हकलाने और तुतलाने में अंतर
हकलाना या तुतलाना दोनों ही व्यवहार किसी भी छोटे बच्चे में बेहद आम है। पर यह दोनों ही सामान्य रूप से अलग होते है। इनके बीच अंतर को समझना बहुत अधिक मुश्किल नहीं है। तो आइये जानते है की इन दोनों में क्या अंतर है –
1. हकलाना
हकलाने की समस्या में आमतौर पर बच्चा बोलते-बोलते रुक जाता है। किसी बात को रुक-रुक कर बोलता है, शब्दों को लम्बा खींचता है। या किसी शब्द को बार-बार दोहराता है। बोलने के लिए शब्दों को चुन नहीं पाता और अपनी बात को नहीं कह सकता है।
2. तुतलाना
तुतलाने के समय बच्चे को ऐसी कोई खास दिक्कत नहीं होती है। ऐसा बच्चा सिर्फ बोले गए शब्दों को साफ-साफ नहीं कह सकता और ठीक प्रकार से उच्चारण नहीं कर पाता या किसी शब्द को गलत बोलता है, जैसे – ‘र’ को ‘ल’ बोलना आदि।
हकलाने के लक्षण
हकलाने की समस्या में वैसे तो ऊपर बताये गले लक्षण ही मुख्य है। पर हकलाने के समय बच्चे के ऊपर मानसिक दबाव की स्थिति होती है। जिससे बच्चा घबरा जाता है। ऐसा अक्सर तब होता है जब बच्चा अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं कर पता है। साथ ही इस परिस्थिति में बच्चे को भी कुछ लक्षण महसूस होते है।
हकलाने की समस्या के सभी लक्षण निम्न प्रकार है –
- बात पता होने पर भी बोल न पाना
- बोलते समय अचानक घबरा जाना
- बच्चे के आत्मविश्वास में कमी आना
- भावनात्मक रूप से कमजोर होना
- बोलते समय सांस लेने में परेशानी
- सामाजिक गतिविधियों से दूर रहना
- दोस्तों के साथ खेलने के लिए न जाना
- स्कूल जाने में जाने से कतराना
- अकेले कमरे में या गुमसुम रहना
- अक्सर खुद से ही बाते करना
- शर्मीले और शांत प्रकृति के होना
- बोलते समय हिचकिचाहट होना
- अपनी बात एक साथ तेजी से बोलना
इसी प्रकार तुतलाने की समस्या में भी बच्चा कुछ खास लक्षणों को महसूस करता है –
- जीभ का चिपका होना
- सुनने में समस्या होना
- बुद्धि स्तर काम होना
- किसी की नक़ल करना
- आदत में शामिल होना
हकलाने के कारण
हकलाने का डॉक्टर की माने तो आप पाएंगे की बहुत से ऐसे कारक है जो की बच्चे के सामान्य बोलचाल को ठीक प्रकार से विकसित नहीं होने देते है। या फिर विपरीत प्रभाव डालते है जिससे की बच्चे को बोलने सम्बन्धी समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसा कई बार बच्चे द्वारा अनजाने में ही होता है।
इस समस्या के पीछे पाए जाने वाले कारणों में निम्नलिखित प्रमुख है –
- बोलने में सहायक मांसपेशियों पर नियंत्रण न होना
- अनुवांशिक रूप से विरासत में यह समस्या मिलना
- किसी हादसे को बहुत करीब से देखने के कारण
- किसी कमजोरी, परेशानी, डर, चिंता घबराहट से
- इंटरव्यू देते समय मानसिक दबाव के कारण भी
- किसी खास परिस्थिति में हकलाने की समस्या होना
- बहुत अधिक उत्साहित होने से भी हकलाना आम है
- परिवार में किसी को हकलाने की समस्या है तो भी
- भावनात्मक रूप से उत्तेजित होने पर भी ऐसा होता है
- मस्तिष्क के बाएं हिस्से की तंत्रिका में गड़बड़ होने से
- किसी बड़े व्यक्ति से बात करते समय डर या घबराहट
हकलाने का इलाज
यह आपका बच्चा 10 वर्ष की उम्र के बाद भी बोलते समय हकलाने या तुतलाने की समस्या से परेशान है। तो हकलाने का डॉक्टर आपके बच्चे की मदद कर सकता है। अथवा आप निम्न में से किसी लक्षण को देखते है तो फिर आपको किसी हकलाने का डॉक्टर या थेरेपिस्ट से परामर्श करना चाहिए।
हकलाने की समस्या से जुड़े सभी लक्षण निम्नलिखित है –
- बच्चा बार बार या लम्बे समय तक हकलाता हो
- कुछ मिनट से अधिक वक्त के लिए हकलाना
- 5 साल से अधिक होने पर भी साफ न बोलना
- सामान्य शब्दों के उच्चारण में समस्या होना
- किसी प्रकार की दवा के दुष्प्रभाव के कारण
- बच्चे की किसी चिकित्सीय सर्जरी के बाद
- अधिकतर चुप रहना या इशारे में बात करना
यदि बच्चा हकलाता है तो इसके पहचान करना अधिक कठिन नहीं है। पर हो सकता है ऐसा वह किसी विशिष्ट परिस्थिति में कर रहा हो और वह बिलकुल सामान्य हो। इसलिए हकलाने की समस्या की पुष्टि करने के लिए हकलाने का डॉक्टर से संपर्क करें और विशेषज्ञ द्वारा अपने बच्चे की उचित जांच करवाएं। हालाँकि बहुत ही कम मामले है (जैसे शारीरिक विकार आदि) जिनमे शल्य चिकित्सा की आवस्यकता होती है। यह समस्या किसी दवा आदि से भी ठीक नहीं होती है। इसके लिए हकलाने का डॉक्टर आपको अधिक से अधिक अभ्यास द्वारा नियंत्रण की बारीकियां सिखाएगा।
परिवार का सहयोग
यदि आपका बच्चा भी किसी कारण से बोलने में असहजता या हकलाने और तुतलाने जैसी क्रिया करता है। तो यह बहुत ही आवश्यक है की आप उसका सहयोग करें।
इसके लिए आप निम्न बातों को ध्यान में रखें –
- बच्चे के तनाव को कम करने की कोशिश करें, उसे मानसिक रूप से सहयोग करें।
- उसकी नक़ल बिलकुल न उतारें, या बच्चे के बोलते वक्त उसकी बात पर हँसे नहीं।
- बच्चे की बात को जल्दी से पूरा न करें, उसे अपनी पूरी बात कहने का समय दें।
- उसकी बात को ध्यानपूर्वक सुने, और बोलने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करें।
- बच्चे को ध्यानपूर्वक सुनने के लिए कहें, जिससे वह बोलने की कोशिश भी करेगा।
- बच्चे की साथ सख्ती से पेश न आएं, उसे डांटे, मारें या उसका मज़ाक न उड़ाएं।
- बच्चे का हौसला बढ़ाएं और उसके द्वारा अपनी बात पूरी करने पर तारीफ करें।
हकलाने के अभ्यास
हकलाने की समस्या सिर्फ व्यवहारिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से बच्चे पर अपना प्रभाव डालती है। हकलाने का डॉक्टर के अनुसार इस स्थिति को अभ्यास के माध्यम से दूर किया जा सकता है। ऐसे बहुत से तरीके है जिनको आजमाने से आपके बच्चे की हकलाने की आदत धीरे-धीरे दूर हो जाएगी। इसमें बच्चे को पूरी तरह आत्मविश्वास के साथ कोशिश करनी होती है।
बच्चे द्वारा निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए –
1. सकारात्मक सोच
किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने या अपने प्रयासों में सफल होने के लिए सबसे पहले और सबसे जरूरी तथ्य है सकारात्मक सोच। क्योंकि जब तक आप खुद में यकीन नहीं करेंगे तब तक आपके हौसले बुलंद नहीं हो सकते है। और जहाँ नीव ही कमजोर हो वहां ईमारत खड़ी करना संभव नहीं है। इसलिए सबसे पहले इस बात पर भरोसा करें की आपको कोई बिमारी नहीं है। आप भी अन्य बच्चों या व्यक्ति की तरह सामान्य है। हकलाना सिर्फ एक आदत है जिसे आप आसानी से बदल सकते है। आपको खुद को किसी के सामने साबित नहीं करना है बस खुद को खुद से अधिक बेहतर बनाना है। और यह यकीन करें की आप सफल हो सकते है।
2. सांस पर नियंत्रण
हकलाते समय अक्सर बच्चे सांस लेना ही भूल जाते है और घबराहट व भय से जड़ हो जाते है। इस कमी को दूर करने के लिए अपनी सांस पर नियंत्रण करें। बोलते समय अपनी सांस पर ध्यान दें, और यह निश्चित करें की आपको कब और कितनी सांस लेनी है। जब भी आप अटकें या हकलाएँ तो अपनी ऑंखें बंद करें और ध्यान अपनी साँस पर लगाएं। एक गहरी साँस लें और यकीन करें की आप बेहतर कर सकते है। और फिर बोलना शुरू करें।
3. लयबद्ध बोलना
यदि आपको बोलने में बहुत दिक्कत होती है तो निराश न हों अपनी बात को एक लय में या सुर के साथ बोलने की कोशिश करें। जैसे की आप कोई गाना गा रहे है। क्योंकि गाना गाते समय दिमाग शांत होता है। और आप शब्दों को बेहतर बोल पाते है। जैसे – मे…..रा…..ना……म….है… अपने शब्दों को खींचने से आपको बात कहने का पर्याप्त समय मिलेगा।
4. धीरे-धीरे बोलना
हड़बड़ाहट में या जल्दी बोलते समय शब्दों की लय और क्रम गड़बड़ा जाते है। इसलिए पहले अच्छी तरह सोच कर फिर अपनी बात को धीरे-धीरे और स्पष्ट रूप से कहने की कोशिश करें। जिससे आपके द्वारा बोले गए शब्द सामने वाले व्यक्ति को ठीक प्रकार से समझ में आएं। इस आदत से आपको खुद पर भरोसा होगा।
5. जोर से बोलकर पढ़ें
जब भी किसी पाठ को याद करना हो या फिर कोई किताब पढ़ना हो। तो पढ़ते समय वाक्यों को जोर से बोलकर पढ़ें। इससे आपको शब्दों को बोलने की अधिक आदत पड़ेगी। और इस अभ्यास से आपको शब्दों को बोलते समय कहा रुकना है, और कब साँस लेना है यह ज्ञान होगा। क्योंकि आपको शब्दों को सोचना नहीं है सिर्फ उन्हें देख कर पढ़ना है।
6. आईने के सामने बोले
खुद को शीशे में देख कर बोलने से आपको ऐसा एहसास होगा की आप अकेले नहीं है। बोलते समय खुद को देखें अपने हाव भाव और होठो की हरकत पर ध्यान दें। ऐसा माने की आपके सामने खड़ा व्यक्ति कोई और है। शुरू में यह अजीब लगेगा पर यकीन मानिये इससे फायदा होगा। रोज अभ्यास करें और आप देखेंगे की हकलाहट कम होने लगेगी।
7. मन को स्थिर रखें
बोलने से पहले खुद को शांत रखने की कोशिश करें। पानी पियें या गहरी साँस लें। अपनी बात को मन में दोहराएं या फिर अपनी पसंद का कोई गाना सुनें। घबराएं नहीं, और परेशान न हों, इस बात का डर अपने दिमाग से निकल दें की सामने वाला क्या कहेगा या कही आपसे कोई गलती न हो जाये। बस अपनी बात को धीरे धीरे स्पष्ट रूप से और पूरी कहने की कोशिश करें, सांस पर नियंत्रण करें।
8. बहुत अधिक न सोचें
अपनी बात को मन में सोचते समय बहुत अधिक बार अपनी बात को न दोहराएं , या फिर बोलने से पहले ही बहुत आगे की न सोचे। आपकी बात सुनकर लोग क्या बोलेंगे? उसका जबाब कैसे देना है? यह सब न सोचें। सिर्फ आपको जो कहना उस पर फोकस करें। अपना पूरा ध्यान इस बात पर दें की आप अपनी बात को लोगो तक पंहुचा सकते है, और लोग आपकी बात सुनना चाहते है।
9. शारीरिक हाव भाव
जब आप किसी से बात करें तो डरे हुए या किसी एक अवस्था में रुक कर अपनी बात न कहें। अपने चेहरे के भावों का प्रयोग करें, लोगो से सीधे आँख न मिलाएं, बल्कि उनके सिर को देखें। पर कमरे की छत्त की तरफ बिलकुल मत देखें। अपनी बात कहते समय हाथों से इशारे करें। यदि आप खड़े हुए है तो टहलते हुए या अपने पैरों को चलाते हुए बात करें। खुद को एक शांत मुद्रा में रखें।
10. निरंतर अभ्यास करें
ऊपर दिए सभी तथ्यों का प्रतिदिन अभ्यास करें। रोज प्रैक्टिस करने से आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा, और आप अपने आप में बदलाव महसूस करेंगे। हकलाना कोई बिमारी नहीं है इसे आप अपनी मेहनत और लगन से कभी भी सुधार सकते है। लोगों से मिलें बातचीत करें, परिवार के साथ घुले मिलें। ऐसे दोस्त बनायें जो आपको पसंद करते हो।
हकलाने के लिए योग
योग अभ्यास हर प्रकार से हमारी शारीरिक समस्याओं को दूर करते है। और शरीर को स्वस्थ व निरोगी बनाते है। शरीर के हर हिस्से के लिए योग मौजूद है। बस आपको समय निकल कर उनका अभ्यास करना है। हकलाने की समस्या को दूर करने के लिए आप योग और प्राणायाम को पद्मासन या सुखासन में बैठ कर अभ्यास कर सकते है।
हकलाने की समस्या के लिए सभी योग निम्नलिखित है –
1. स्वास पर नियंत्रण
स्वास को जितना हो सके अंदर खींचे, कुछ सेकेण्ड तक रोकें फिर धीरे से स्वास को छोड़ दें। कुछ सेकेण्ड का विश्राम करें। और यह प्रक्रिया पुनः दोहराएं। इससे आपको अपनी सांस पर बेहतर नियंत्रण प्राप्त होगा। आप चाहें तो शंख भी बजा सकते है, यह भी उतना ही प्रभावकारी है।
2. ॐ का उच्चारण
ऊपर बताई हुई क्रिया को करते समय ही आप इसका भी अभ्यास कर सकते है। जब आप सांस को छोड़ रहे हों तब ॐ का उच्चारण कर सकते है। इससे आपके मस्तिष्क को शांति मिलेगी और ध्यान केंद्रित करने में भी सहायता मिलेगी।
3. उज्जायी प्राणायाम
गहरी सांस भरते समय अपने गले से ध्वनि को उत्सर्जित करें। या फिर आवाज निकलते हुए सांस को खींचे। कुछ सेकेण्ड रुकें फिर धीरे से नाक के बाएं तरफ से सांस को छोड़ दें। इसका अभ्यास 15 से 20 बार करें।
4. सिंह गर्जना
वज्रासन में बैठ जाएँ, फिर अपने घुटने दूर करते हुए दोनों हाथ पैरों के बीच जमीन पर रखें और गर्दन को थोड़ा आगे झुकाएं। आपको एक सिंह की मुद्रा बनानी है। फिर गहरी साँस लेकर अपनी जीभ को बहार निकालें और एक सिंह की तरह जोर से दहाड़ कर सांस को छोड़ दें। इसका अभ्यास कुल 10 या 12 बार करना काफी है।
5. अनुलोम-विलोम
अपने बाएं हाथ की मध्य ऊँगली से दाएं नथुने को दबाएं, फिर अपने बाये नथुने से सांस को अंदर खींचें। फिर अपने दाएं नथुने से ऊँगली को हटा दें। और बाये नथुने को बाएं हाथ के अंगूठे से दबाएं। और अंत में दाएं नथुने से साँस को बाहर कर दें। करीब 5 से 7 मिनट तक इसका अभ्यास करें।
हकलाने के घरेलु नुस्खे
अभ्यास और योग के साथ ही कुछ ऐसे घरेलु नुस्खे भी है जो आपकी हकलाने की समस्या में रहत प्रदान कर सकते है। हालाँकि यह कोई शर्तिया इलाज नहीं है पर आपको इससे कुछ लाभ जरूर होगा। इन घरेलु उपायों को करना आसान है। पर इन्हे करने से पहले किसी अनुभवी व्यक्ति या हकलाने का डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
हकलाने की समस्या के निवारण के लिए घरेलु उपाय निम्न है –
1. आंवला
आंवला एक बहुत पुरानी औषधि है। प्रतिदिन बच्चे को ताजे हरे, या फिर सूखे आंवले का चूर्ण (पाउडर) देने से उसे फायदा होगा। आप चाहें तो गाय के घी में भी इसे मिलकर दे सकते है। इससे तुतलाना भी दूर हो जायेगा।
2. बादाम
कुछ बादाम लेकर उसे रात में पानी में भिगो कर रख दें और सुबह उसको पीस लें और मक्खन के साथ मिलकर देने से तुतलाने की समस्या दूर हो जाएगी। या फिर 7 बादाम और 7 काली मीर्च को एक साथ पीस लें और इसमें मिश्री मिलाकर सुबह खली पेट इसे खाने से हकलाने की समस्या ठीक हो जाएगी।
3. छुआरा
छुआरा खाने से बच्चे के तुतलाने में लाभ मिलता है इसके लिए सोने से 2 घंटे पहले बच्चे को छुआरा खाने को दें। और इसके बाद 2 घंटे तक बच्चे को पानी न पिलायें। कुछ दिन करने से असर दिखाई देगा।
4. काली मिर्च
काली मिर्च के 2 दाने सुबह और शाम को मुँह में रखकर चूसें। इससे हकलाना और तुतलाना दोनों ठीक हो जायेंगे। कुछ दिनों तक इस प्रक्रिया को करें या फिर एक चम्मच मक्खन में एक चुटकी काली मिर्च डालकर प्रतिदिन खाने से बहुत लाभ मिलेगा।
5. शहद
किस किराने की दूकान से वच मीठी, कूठ मीठी, असगंध, छोटी पीपल लेकर इन्हे समान मात्रा में बारीक पीस लें। फिर इसमें से एक ग्राम चूर्ण को एक चम्मच शहद में मिलाकर चाटें। दिन में एक बार कुछ समय इसके उपयोग से हकलाना मिटता है
6. सौंफ
एक चम्मच सौंफ को कूटकर एक गिलास पानी में उबाल लें। एक कप रह जाये तब छानकर इसने मिश्री और एक कप गाय का दूध मिलाकर पिए। यह रोजाना रात को सोते समय कुछ दिन लगातार पीने से हकलाना ठीक होता है।
निष्कर्ष व परिणाम
बचपन के प्रारंभिक दौर में जब बच्चा अपने सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास कर रहा होता है तब सामान्य रूप से उसके व्यवहार में निरंतर परिवर्तन आते रहते है। क्योंकि इस समय बच्चा दूसरों को देखकर या उनके व्यवहार से भी बहुत कुछ सीख रहा होता है। इसलिए किसी की नक़ल करते हुए बोलना, रुक रुक कर बोलना, हकलाना या तुतलाना भी उनके विकासशील व्यवहार का हिस्सा होता है।
अक्सर यह समय के साथ ही ठीक हो जाता है, और बच्चा धीरे-धीरे कुशलता पूर्वक और साफ बोलने लगता है। पर यदि किसी वजह से उसके व्यवहार में यह चीजें शामिल हो जाती है, और आदत बन जाती है, तब असली समस्या होती है। पर घबराएं नहीं और हकलाने का डॉक्टर द्वारा उचित अभ्यास और तकनीक का सहारा लें। जिससे हकलाने की समस्या आसानी से ठीक हो सकती है। आपके बच्चे को बस आपके सहयोग और प्यार की जरुरत है।
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