जब एक बच्चा इस दुनिया में जन्म लेता है। तो उसे वास्तविक दुनिया का कोई ज्ञान नहीं होता है वह इस दुनिया में बीतते समय के साथ सभी जरुरी ज्ञान प्राप्त करता है। और उम्र बढ़ने के साथ परिपक़्व और समझदार होता जाता है। इसके पीछे सबसे अहम् पहलु किसी बच्चे की सीखने की क्षमता और बुद्धि का विकास होता है। जितनी अधिक उसकी बुद्धि विकसित होगी उतना ही बेहतर तरीके से वह चीजों को सीख पायेगा। सीखने और विकसित होने के इस दौर में एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है – बोलना और भाषा का ज्ञान होना और स्पीच थेरेपी इसमें मदद करती है।
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तो आइये अब बात करते है की स्पीच थेरेपी क्या है? और यह कैसे आपके बच्चे की मदद करती है? साथ ही इसके काम करने के तरीके और फायदे भी जानिए।
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इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
शब्दों का महत्त्व क्या है?
क्योंकि शब्दों पर आधारित भाषा का ज्ञान होने पर ही एक शिशु दूसरों की भावनाएं, और बोले गए शब्दों के उच्चारण को समझ कर उसके अनुसार प्रतिक्रिया दे पाता है। और प्रतिक्रिया देने के लिए किसी शिशु को शब्दों और भाषा का ज्ञान होने के साथ साथ उन्हें बोले जाने के नियमों से भी परिचित होना पड़ता है।
भाषा सम्बन्धी यह नियम एक छोटा बालक अपने बचपन से जीवन के अंत तक लगातार सीखता ही रहता है। पर इसी बीच कुछ ऐसे भी बच्चे होते है। जो बढ़ती उम्र के साथ भाषा और शब्दों को समझने सम्बन्धी ज्ञान पर तो पकड़ बना लेते है। पर जब उन शब्दों को बोलने का समय आता है, तो ऐसे बालक सक्षम नहीं होते है।
इसके पीछे कई करक होते है जो उनकी सीखने और बोलने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालते है। स्पीच थेरेपी या वाक्-चिकित्सा इस समस्या में उन बच्चों की मदद करती है। जो किसी कारणवश बोलने में पूर्ण सक्षम नहीं होते है। तो आइये अब हम बात करते है, की बोलने की समस्या (स्पीच डिसऑर्डर) का इलाज कैसे किया जाता है।
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स्पीच थेरेपी क्या है?
स्पीच थेरेपी वाक्-चिकित्सा एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत बोलने में कठिनाई की समस्या से जूझ रहे व्यक्तियों या बच्चों को कई प्रकार की युक्तियों और तकनिकी चिकित्सा माध्यम से बोलने की क्षमता विकसित करने में लाभ मिलता है। और उनकी वर्तनी (भाषा) या बोलने की क्षमता में सुधार होता है।
यह सुधार की प्रक्रिया या स्पीच थेरेपी कई सारे कारकों और तथ्यों पर निर्भर करती है, और हर किसी के लिए अलग होती है। इसके अंतर्गत आपकी बोलने के लिए उत्तरदायी मांशपेशियों को अभ्यास के द्वारा अधिक कुशल और मजबूत बनाया जाता है। और ध्वनि उत्पन्न करने की क्रिया को बेहतर बनाया जाता है।
जिसके लिए आपको कई प्रकार के खेल और कार्यों द्वारा अभ्यास करवाया जाता है, ताकि आप शब्दों को बोलने का सही तरीका सीखें और किसी भी शब्द का उच्चारण स्पष्ट रूप से कर सके। यह छोटे बच्चों से लेकर बड़ी उम्र के लोगो या व्यस्क व्यक्तियों के लिए अलग-अलग तरह से रूप-रेखित (डिजाइन) किया जाता है।
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स्पीच थेरेपी की जरुरत क्यों है?
स्पीच थेरेपी आपको बोलने में होने वाली परेशानी (स्पीच डिसऑर्डर) से निजात दिलाती है। यह स्पीच डिसऑर्डर की समस्या एक बिमारी है, जो की आपके शब्दों को बोलने की क्षमता को प्रभावित करती है। और आप दूसरे व्यक्ति या बच्चों की तरह अपने विचारों को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करने में सक्षम नहीं होते है। और आपकी भावनाएं और विचार आपके अंदर घुट कर रह जाते है। इसमें स्पीच थेरेपी आपकी सहायता करती है।
यह आपको प्रभावी रूप से बोलने और सीखने में सक्षम बनाती है। जिससे की आप भी अन्य सामान्य व्यक्तियों या बच्चों की तरह ही धाराप्रवाह में बोल सकें, और अपने विचारों को शब्दों के माध्यम से व्यक्त कर सकें। इससे आपको कई अन्य लाभ भी मिलते है। जो की आपके व्यक्तित्व के सम्पूर्ण विकास में सहयोग प्रदान करते है। जिससे की आपको किसी भी व्यक्ति से बात करते समय शर्मिंदा होना या अपनी कमजोरियों को छिपाना नहीं पड़ता है।
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स्पीच थेरेपिस्ट क्या करते है?
स्पीच थेरेपिस्ट को स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट या एसएलपी (SLP) भी कहते है। स्पीच थेरेपिस्ट आपकी परेशानी का मूल्यांकन आपके बोलने, भाषा समझने (सुनने), याद रखने और भोजन ग्रहण करने सम्बन्धी परेशानियों की जांच द्वारा करते है, और यह निर्धारित करते है की आपको किस स्तर की बोलने में कठिनाई की समस्या है। और उससे निजात दिलाने के लिए आपके अनुसार इलाज का चुनाव करते है।
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इसके अंतर्गत स्पीच थेरेपिस्ट द्वारा निम्न सहायता की जाती है –
1. धाराप्रवाहिता
आपका हकलाना (सटटरिंग) या बोलते समय अटकने की परेशानी, और बोलते समय शब्द भूल जाना (क्लटरिंग) की समस्या का निदान किया जाता है। जिससे आप भी धाराप्रवाह में बोल सकें।
2. बोली
इसमें आपके द्वारा बोले गए शब्दों की स्पष्टता पर ध्यान दिया जाता है, और अभ्यास के माध्यम से आपको शब्दों का स्पष्ट उच्चारण (अर्टिकुलेशन) करना सिखाया जाता है।
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3. भाषा
इसके अंतर्गत आपके द्वारा बोली जाने वाली और लिखित भाषा की क्षमता और समझ को विकसित किया जाता है। जिससे की आप शब्दों को समझने लिखने और बोलने में सक्षम हो सकें।
4. संज्ञान
यह आपके ध्यान, स्मृति, समस्याओं को हल करने की क्षमता से जुड़ा हुआ है। जिसमे आपको अपने दिमाग द्वारा शब्दों या अन्य बातों को याद रखने और जानकारी एकत्रित करने और परशानियों का हल निकालने में सक्षम किया जाता है।
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5. आवाज
इसमें आपके द्वारा बोलने की क्षमता को विकसित किया जाता है। जिससे की आप मौखिक रूप से शब्द या वाक्यों को जरुरत के अनुसार सही स्तर (तेज या धीमे स्वर में) पर बोल सकें। क्योंकि अलग-अलग शब्दों को बोलने में लगने वाली शक्ति भी अलग होती है।
6. श्रवण स्थिरता और पुनर्वास
इसके अंतर्गत आपकी बोलने की क्षमता, सुनने की क्षमता, और भाषा संबंधी सभी विकारों को चिकित्सा तकनीक के माध्यम से पुनर्स्थापित (सुधार) किया जाता है।
7. निगलने के विकार
इसमें आपके द्वारा निगलने में कठिनाई की समस्या का इलाज किया जाता है। यह समस्या अस्थायी (कुछ समय के लिए) या जन्मजात (जन्म के समय से) भी हो सकती है। जिससे आपको कुछ भी निगलने और बात करने में परेशानी होती है।
8. अन्य सेवाएं
कुछ स्पीच थेरेपिस्ट कई प्रकार की अन्य सेवाएं भी आपको प्रदान कर सकते है जिनमें मुख्य रूप से –
- विशिष्ट रूप से आवाज को विकसित करना
- उच्चारण और बोली सम्बन्धी सहायता
- दो अलग प्रकार (स्त्री व पुरुष) की आवाज निकलना
- अलग-अलग परिवेश में (व्यवसाय में, बाजार में) बोलचाल के तरीके
- आवाज की स्पष्टता या शुद्धता में आपकी सहायता करना
स्पीच थेरेपी कैसे काम करती है?
स्पीच लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट या एसएलपी (SLP) कई प्रकार से अलग-अलग उम्र वर्ग के बच्चों और वयस्कों का इलाज करता है। इसके लिए वह किसी व्यक्ति की उम्र को देखता है। क्योंकि यह सभी तकनीक व्यक्ति-विशिष्ट होती है, और सभी के लिए अलग तरीके से काम करती है। इसके आधार पर यह निम्नलिखित होती है –
बच्चों के लिए स्पीच थेरेपी
अलग-अलग उम्र के बच्चों के लिए सबसे पहले एसएलपी (SLP) जांच द्वारा यह निर्धारित करता है, की समस्या का प्रकार और स्तर क्या है? फिर वह समस्या के निवारण से जुड़े तरीकों में से बच्चे के आधार पर विशेष तरीको का चयन करता है। जो की समस्या को बेहतर प्रकार से हल कर सकें। इसके लिए वह ऐसे प्रयोगों और खेलों का सहारा लेता है जो की बच्चों को बहुत मजेदार थोड़े चुनौतीपूर्ण और आनंददायक लगें। जिससे की बच्चा इसमें पूरी तरह से हिस्सा लें और प्रक्रिया के सभी चरणों को पूरा करे।
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स्पीच थेरेपी से जुड़े ऐसे ही कुछ उपचार निम्न है –
1. लैंग्वेज इंटरवेंशन एक्टिविटीज़
लैंग्वेज इंटरवेंशन या भाषा में हस्तक्षेप तीन बातों पर निर्भर करती है – शब्दों का ज्ञान, बोलने का कौशल, और सुनने की क्षमता यह कई तरीकों से बच्चों की भाषा को विकसित करती है। जिसमें बच्चे के सही या गलत बोलने पर उन्हें जरूरी प्रतिक्रिया दी जाती है।साथ ही चिकित्सक फोटो और बुक या खेल के माध्यम से भी भाषा को सीखने का प्रोत्साहन दे सकते हैं।
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2. आर्टिकुलेशन थेरेपी
अभिव्यक्ति चिकित्सा या आर्टिकुलेशन थेरेपी द्वारा स्पीच-लैंग्वेज पैथोलोजिस्ट बच्चों को उन शब्दों और धवनियों को बोलने का अभ्यास बार-बार करवाते है जिन ध्वनियों को बोलने में बच्चे को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इसके लिए वह मॉडल तैयार कर सकते हैं। और किसी आवाज को कैसे निकालना है? और उस समय जीभ कैसे हिलती है? यह सभी क्रियाएं बच्चों को करके दिखाते हैं।
3. फीडिंग एंड स्वालोइंग थेरेपी
खाने और निगलने की चिकित्सा द्वारा चिकित्सक बच्चों को भोजन चबाते समय और निगलते समय होने वाली जरुरी क्रियाओं को मजेदार तरीके से समझते है। और ऐसे अभ्यास करवाते है जिनसे मुँह की मांसपेशियों को मजबूत किया जा सकें। जिससे बच्चे खाने और निगलने के समय सजगता से काम लें। और भोजन के आधार पर उन्हें खाने के नियम बताते है।
वयस्कों के लिए स्पीच थेरेपी
वयस्कों को सही उपचार प्रदान करने के लिए स्पीच थेरेपिस्ट कई तरह से उनकी समस्या का निर्धारण करने की कोशिश करते है। जिसके अंतर्गत वह आपसे कई तरह के सवालों द्वारा आपकी परेशानी की असली वजह जानने की कोशिश करते है।
इससे यह जानने में सहायता मिलती है, की वजह क्या है? और क्या यह गंभीर है? अथवा सामान्य रूप से किसी मानसिक समस्या से जुडी है जैसे – निराशा, अवसाद आदि इसके अंतर्गत वह सभी तरह से कमजोरियों की जाँच करते है। किसी अन्य कारण की भी जाँच की जाती है। इसके बाद स्पीच थेरेपिस्ट आपके व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर इलाज करते है। जैसे की –
1. कार्ड्स का प्रयोग
इसमें चिकित्सक आपको भिन्न-भिन्न कार्ड्स दिखाकर चीजों को सीखने और एक सही क्रम में याद रखने का अभ्यास करवाता है। साथ ही समस्याओं को हल करना भी सिखाता है।
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2. आईने का प्रयोग
यदि आप बोलते समय शब्द ही भूल जाते हो या आपको बोलने में शर्म, झिझक होती हो। तो आपको एक आईने के सामने उन सभी वाक्यों और शब्दों को दोहराने और बार-बार बोलने की सलाह दी जाती है जिससे की आप उनसभी कमजोरियों को दूर कर आत्मविश्वास प्राप्त कर सकें।
3. जबड़े की कसरत
इसके अंतर्गत कुछ शब्दों को उच्चारण करते हुए आपको परेशानी होने पर उसको दूर करने के लिए उनके उच्चारण को बेहतर बनाया जाता है। और इसमें जबड़े की कसरत का प्रयोग किया जाता है। जिससे की आप जबड़े को सही प्रकार से खोलने व हिलाने तथा सही उच्चारण करने में सक्षम हो सकें।
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4. टंग ट्विस्टर्स
यह एक खेल है जो मजेदार होता है इसमें एक सही क्रम में शब्दों और वाक्यों को आपके द्वारा बहुत तेजी से बोलने का अभ्यास करवाया जाता है। इसमें आपको जुबान फिसलने का कारण बनने वाले ऐसे वाक्य बोलने को दिए जाते है जो की आसानी से नहीं बोले जा सकते है। जैसे की – ऊँट ऊँचा तो ऊँट की पीठ ऊँची, पीठ ऊँची तो ऊँट ऊँचा। एक बार आप भी आजमा कर देखिये।
स्पीच थेरेपी के प्रकार क्या है?
स्पीच थेरेपी कई प्रकार से होती है। यह व्यक्ति और बच्चों के लिए भी अलग होती है, जिससे की हर उम्र का हर व्यक्ति स्पीच थेरेपी से लाभ प्राप्त कर सके। और बोलने, सुनने, समझने सम्बन्धी सभी विकारों से निजात पा सके, साथ ही अपने आत्मविश्वास को फिर से बढ़ा सके। जिससे की उसे शिक्षा, व्यवसाय, और सामाजिक क्षेत्र में उचित सम्मान और लाभ प्राप्त हो सके।
इसके अंतर्गत आने वाली कुछ प्रमुख चिकित्सा पद्धतियां निम्न है –
1. देर से बोलंने वाले बच्चे के लिए चिकित्सा
ऐसे बच्चे या नवजात शिशु जो की सामान्य से अधिक समय बाद बोलन शुरू करते है, या फिर बोलने में सक्षम नहीं होते है। उनके लिए भी स्पीच थेरेपी बहुत सहायक होती है। इसमें चिकित्सक आपके बच्चे को हर संभव प्रयास द्वारा बोलने के लिए उत्साहित करता है जिससे की वह बोलने की कोशिश करे।
चिकित्सक आपके बच्चे से दोस्ती करता है। उसे उसकी पसंद की चीजों को दिखाकर उत्साहित करता है, जिससे की बच्चा उन्हें पाने के लिए बोले, या फिर उन्हें बहुत सी तस्वीर और चित्र दिखाकर बोलने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। साथ ही वह आपके बच्चे की सुनने की क्षमता का परिक्षण भी कर सकता है।
2. अप्रेक्सिया ग्रस्त बच्चे के लिए चिकित्सा
अप्रेक्सिया (Aprexia) की बीमारी दिमाग से जुडी समस्या है और इससे ग्रस्त बच्चे कुछ प्रकार के शब्दों और ध्वनियों के उच्चारण में कठिनाई महसूस करते है। उन्हें शब्दों का सही ज्ञान होने पर भी उन्हें बोलते समय गलतियां होती है। ऐसे बच्चों के इलाज के लिए चिकित्सक या स्पीच थेरेपिस्ट कुछ जरुरी जांच करता है, जिससे की समस्या का सही रूप से मूल्यांकन किया जा सके।
यदि आपका बच्चा अप्रेक्सिया (Aprexia) की समस्या से ठीक भी हो जाये तब भी उसे स्पीच थेरेपी की आवस्यकता पड़ती ही है। जिसके अंतर्गत चिकित्सक आपके बच्चे को शब्दों के उच्चारण और उनकी ध्वनियों को समझने के लिए उन्हें देखकर या छू कर समझने में सहयोग करता है। इसके अतिरिक्त आपके बच्चे को बोलते समय आईने में खुद को देखकर, या बोले गए शब्दों को रिकार्ड कर के वापस सुनने से मदद मिलती है। ऐसे अभ्यास बच्चे के विकास में सहायक होते है।
3. हकलाने के लिए चिकित्सा
हकलाने की समस्या एक प्रकार का विकार है, जो की ज्यादातर बचपन से ही दिखाई देने लगता है। पर कभी-कभी किसी मानसिक आघात के कारण व्यस्क व्यक्तियों में भी हकलाने के समस्या उत्पन्न हो सकती है। किसी भी उम्र वर्ग के व्यक्ति को जो इस समस्या से पीड़ित है स्पीच थेरेपी की आवस्यकता होती है।
इसके अंतर्गत चिकित्सक आपके बच्चे या किसी व्यक्ति को उसके व्यवहार सम्बन्धी कुछ अभ्यास देकर इस समस्या का उपचार करने की कोशिश करता है। इसके लिए वह आपसे बोलते समय तीव्रता के स्थान पर धीरे-धीरे बोलने को कह सकता है, क्योंकि गति से बोलने पर बीच में अटकने और हकलाने की समस्या उत्पन्न होती है। पर धीरे, सही उच्चारण से, धाराप्रवाह में बोलना, अधिक फायदेमंद रहता है। अपनी श्वास पर नियंत्रण भी लाभ पहुँचता है।
4. स्वरहानि के लिए चिकित्सा
अफेजिया (aphasia) स्वरहानी या बोलते समय शब्दों का लोप हो जाना अथवा भूल जाना एक दिमागी विकार है। इससे ग्रस्त बच्चा बोलते हुए ही अचानक शब्दों को भूलकर स्तब्ध हो जाता है। इसमें बच्चे को पढ़ने, सुनने, और लिखने में भी समस्या होती है। यह समस्या व्यस्क व्यक्तियों में भी हो सकती है, पर इसका कारण किसी प्रकार का मानसिक आघात होता है।
इस समस्या में स्पीच थेरेपिस्ट आपकी सहायता कर सकता है। वह आपको दूसरे के द्वारा बोले गए शब्दो को समझने, अपने विचार सही प्रकार से जाहिर करने, और निगलने सम्बन्धी समस्याओं का उपचार करता है। जिसके अंतर्गत आपको समूह में लोगों से बात करने, भाषा सम्बन्धी कुशलता विकसित करने, और लिखकर चीजों को याद रखने सम्बन्धी अभ्यास करवाता है।
5. निगलने में कठिनाई के लिए चिकित्सा
कभी-कभी किसी कारणवश आपका बच्चा भोजन निगलने सम्बन्धी विकार से ग्रस्त हो सकता है। इसमें भी स्पीच थेरेपिस्ट आपके बच्चे की सहायता कर सकता है। चिकित्सक आपके बच्चे को अभ्यास द्वारा जबड़े और मुँह की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहयोग कर सकता है। जिससे की उसे चबाने और जीभ की गतिविधियों द्वारा भोजन को बेहतर तरीके से निगलने में मदद मिलती है।
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इसके लिए भोजन निगलते समय सांस लेने सम्बन्धी नियमों के बारे में भी बच्चे को सिखाया जाता है। यह बोलने सम्बन्धी विकारों को नियंत्रित करते है। यह सभी ऐसे कुछ मुख्य प्रकार थे, जो की स्पीच थेरेपिस्ट या वाक-चिकित्सक द्वारा समस्या के निवारण के लिए इस्तेमाल किये जाते है। पर ऐसे तरीकों की बहुतायत है, जो की अलग-अलग चिकित्सक द्वारा अलग रूप में प्रयोग किये जाते है। यह चिकित्सक की रोग-निर्धारण कुशलता पर निर्भर करता है।
स्पीच डिसऑर्डर के लक्षण
स्पीच डिसऑर्डर वाणी विकार या बोलने में समस्या होना, कई कारकों का मिलाजुला रूप है। जिसके अंतर्गत किसी शब्द को बोलने में ध्वनि उत्पन्न करते समय परेशानी होती है। इसके पीछे कुछ दिमागी विकारों जैसे – अफेजिया, अप्रेक्सिया, डिस्लेक्सिया आदि के साथ हकलाना, तुतलाना, आटिज्म, एडीएचडी विकार, तथा शब्दों का ज्ञान न होना, निगलने में समस्या आदि आते है। इससे ग्रस्त बच्चा या व्यक्ति शब्दों के ठीक प्रकार से उच्चारण करने या अपने विचारों को भाषा के माध्यम से व्यक्त करने में असमर्थ होता है। ऐसे में स्पीच थेरेपी से सहायता मिलती है।
( और पढ़ें – आटिज्म का आयुर्वेदिक उपचार )
यदि बच्चे में इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो वह स्पीच डिसऑर्डर से ग्रस्त हो सकता है –
- दूसरों की बात समझने में कठिनाई
- बातचीत में प्रतिक्रिया देने में समस्या
- बात करते समय अचानक रुक जाना
- बोलते-बोलते शब्दों को भूल जाना
- झटके के साथ बोलना और रुक जाना
- गला बैठना या गले का संक्रमण
- आवाज भारी होना या बिगड़ना
- कोशिश करना पर बोल न पाना
- एक ही शब्द या वाक्य बार-बार बोलना
- बोलते समय बार-बार पलक झपकना
- शब्दों को खींचना या लम्बा बोलना
- लोगों से बात करने में घबराना
- बात करते समय निराशा, चिंता, या डर
- हकलाना या बोलते समय अटकना
- तुतलाना या लिस्पिंग की समस्या
- सुनने में समस्या होना
( और पढ़ें – लिस्पिंग या तुतलाने के घरेलु उपचार )
“इन सभी लक्षणों में से यदि कुछ लक्षण आपको खुद में या अपने बच्चे में दिखाई देते है तो स्पीच थेरेपी आपकी सहायता कर सकती है”
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स्पीच डिसऑर्डर के कारण
बोलने सम्बन्धी विकारों या अक्षमता के पीछे कई प्रकार के करक हो सकते है जो की आपको अपने विचार तथा भावनाएँ बोलकर दूसरों को समझाने में असमर्थ बनाता हैं। साथ ही बातचीत के दौरान दूसरों की बात पर जरुरी प्रतिक्रिया देने में आपको परेशानी महसूस होती है। इस समस्या के अंतर्गत आने वाले कुछ महत्वपूर्ण कारण निम्नलिखित है –
1. बढ़ती उम्र
कभी कभी उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति बोलने में दिक्कतों का सामना करने लगते है। जिसका कारण उम्र बढ़ने के साथ दिमाग की सक्रियता में कमी भी हो सकती है। या फिर किसी दुर्घटना या मानसिक आघात की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। जिसमें ज्यादातर व्यक्ति शब्दों को भूलने, अटकने, उच्चरण की स्पष्टता में कमी और हकलाने जैसी ससमस्य से जूझते है। ऐसे में स्पीच थेरेपी से आपको काफी सहायता मिल सकती है, यह सभी उम्र वर्ग के लोगों के लिए काम करती है।
2. बीमारियां
कभी कभी कुछ बीमारियां भी बोलने में समस्या का कारण बनती है। इसमें मुख्य रूप से दिमाग के तंत्रिका तंत्र से जुडी समस्याएं शामिल होती है, जैसे –
- ऑटिज्म (Autism)
- स्ट्रोक या आघात
- गले का कैंसर
- लारेंजियल कैंसर
- हनटिंग्टन रोग
- डिमेंशिया (मनोभ्रम)
- लकवा (पक्षघात)
- आनुवंशिक कारण
- अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD)
3. अन्य कारण
- बहुत अधिक बोलने से
- स्वरतंत्र में विकार से
- टॉन्सिल की सूजन से
- गलसुआ रोग के कारण
- जीभ में सूजन होने से
- चिपकी जीभ के कारण
- मुँह में छाले होने से
( और पढ़ें – भाषा विकार से जुड़े मिथक या गलतफहमियां )
स्पीच थेरेपी से लाभ
स्पीच डिसऑर्डर (वाणी विकार) की समस्या होने पर या अन्य समस्याओं में बोलने से सम्बंधित अन्य समस्याओं में भी स्पीच थेरेपी या वाक्-चिकित्सा से काफी लाभ मिलता है।
- साफ बोलने की क्षमता बढ़ना
- आत्मविश्वास का आना
- धाराप्रवाह में बोलना
- बोलते समय परेशानी न होना
- बोलते समय डर, चिंता, भय समाप्त होना
- निराशा, और मायूसी समाप्त होना
- शिक्षा में सुधार होना
- सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ना
- भावनात्मक रूप से मजबूत होना
- ध्वनियों को पहचान ने में सक्षम होना
- लिखने और पढ़ने में सुधार होना
- उत्साह में वृद्धि होना
- मानसिक स्तर में सुधार होना
- शब्दों के उच्चारण में कुशलता
- बातचीत में सक्षम होना
- भाषा की जानकारी बढ़ना
- सोचने और समझने में आसानी
- तर्क शक्ति बढ़ना
- सुनने की शक्ति में सुधार
- शब्दों के बीच फर्क समझना
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