दिवाली का त्यौहार आते ही बाजारों में जैसे एक नयी रौनक आ जाती है। फिर चाहे वह मिठाइयों की दुकाने हों? कपड़ों के शॉप हों? या फिर आतिशबाजी की दुकान हों? हर जगह बस लोग कुछ न कुछ खरीदते ही नज़र आते है।
लेकिन यदि आपको ध्यान होगा? तो पिछले वर्षों में सरकार के फैसले पर कोर्ट ने ग्रीन नॉर्म्स का पालन न करने वाले पटाखों को बेचने और खरीदने पर रोक लगा दी थी। जिसके चलते पटाखा व्यवसाय को भारी नुकसान हुआ था, और लोगों को दीपावली का आनंद भी कम प्राप्त हुआ था। इसलिए इसके विकल्प में ग्रीन पटाखे बनाने का प्रस्ताव रखा गया था।
तो चलिए जानते है की यह ग्रीन पटाखे या क्रैकर्स क्या होते है? यह देखने में कैसे होते है? और परंपरागत (सामान्य) पटाखों से कैसे अलग है? साथ ही जानिए की यह ग्रीन आतिशबाजी कब और कहाँ मिलेगी?
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
- 1. ग्रीन पटाखे क्या होते है?
- 2. ग्रीन पटाखे दिखते कैसे है?
- 3. ग्रीन पटाखे के प्रकार कितने है?
- 4. ग्रीन क्रैकर्स व सामान्य पटाखों में अंतर
- 5. ग्रीन पटाखे कब मिलेंगे?
- 6. ग्रीन पटाखे कहाँ मिलेंगे?
- 7. ग्रीन पटाखे की कीमत क्या है?
- 8. ग्रीन क्रैकर्स से लाभ क्या है?
- 9. ग्रीन पटाखे कैसे जलाएं?
- 10. निष्कर्ष व परिणाम
ग्रीन पटाखे क्या होते है?
ग्रीन पटाखे, इनका नाम सुनने से ही आपको अंदाज़ा हो गया होगा की यह पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बनाये गए है। दरसल जब सरकार ने गत वर्ष पटाखों से होने वाले वायु और ध्वनि प्रदुषण को कम करने के लिए के लिए एक ठोस कदम उठाया, तो बाजार में इन हानिकारक आतिशबाजियों की बिक्री और खरीद पर रोक लगा दी गयी।
परन्तु पटाखा कारोबार को नुकसान न हो, और इससे जुड़े लाखों मजदूरों का रोजगार न छीने इसलिए कोर्ट द्वारा ग्रीन पटाखों को बनाने की बात कही गयी थी। इस पहल को नीरी के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक पूरा किया। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) नीरी, भारत सरकार के अंतर्गत काम करने वाले “वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद” (CSIR) सीएसआईआर की पर्यावरण शाखा की एक विशेष प्रयोगशाला है।
क्योंकि यह ग्रीन पटाखे जलने पर कम हानिकारक धुआं और कम जहगरीली गैसें उत्पन्न करते है। इसलिए पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते है। हालाँकि ऐसा भी नहीं है की ग्रीन पटाखों से प्रदुषण बिलकुल नहीं होगा? पर इन पटाखों से प्रदुषण के स्तर में 30% तक की कमी जरूर आएगी।
ग्रीन पटाखे दिखते कैसे है?
नीरी द्वारा उपलब्ध कराये जाने वाले यह ग्रीन (हरित) पटाखे दिखने में बिलकुल सामान्य या हमारे परंपरागत पटाखों की तरह ही होते है। इसलिए आपको इस बात की चिंता करने के कोई जरुरत नहीं है की यह देखने में कैसे होंगे? आपको इन्हे देखकर या चलाकर कोई विशेष अंतर महसूस नहीं होगा। सिवाय इसके की यह आपके स्वास्थ्य व कानो को कम हानि पहुंचाएंगे।
क्योंकि हर साल पटाखों से बहरापन, फेफड़ों की समस्या, आँखों में परेशानी, श्वास, रक्तचाप, व दिल के रोग होने के मामले जरूर देखने को मिलते है। इसलिए इन ग्रीन क्रैकर्स से यह उम्मीद भी लगायी जा रही है की इनके इस्तेमाल से ऐसे सभी मामलों में कमी आएगी। और दीपावली को और बेहतर व आनंदायक बनाया जा सकेगा।
हालाँकि आप सुरक्षित दिवाली मानाने के लिए दिवाली पर सावधानी जरूर बरते, अन्यथा आपका कान पटाखे जलाने पर सुन्न हो सकता है, और अन्य प्रकार से कान में समस्याएं होने के साथ कई स्वास्थ्य विकारों का भी सामना करना पड़ सकता है।
ग्रीन पटाखे के प्रकार कितने है?
दीपावली के मौके पर बाजारों में नए नए किस्म के और पहले से अलग प्रकार के पटाखे हर साल देखने को मिल जाते है। हालाँकि कुछ परंपरागत आतिशबाजियों की अपनी ही एक खास जगह है जिनमे – बम, अनार, चकरी, रोशनी, फुलझड़ी, और अन्य पटाखे भी आते है।
बाकी सब इनके ही विभिन्न रूप होते है। और कुछ ऐसे भी होते है जो बाजार में आने के बाद भी अपनी पहचान नहीं बना पाते है। ऐसे में जब ग्रीन पटाखों को बनाने की ओर कदम उठाया गया तो सबसे पहली परेशानी यह आयी की किस प्रकार की ग्रीन आतिशबाजी को बनाया जाये?
आतिशबाजी ऐसी हो जो प्रदुषण को कम करते हुए ईको फ्रेंडली (पर्यावरण सुरक्षित) भी हो, और लोगों को पसंद भी आये। तो बहुत कड़ी मेहनत और कई जाँच परीक्षणों के बाद नीरी ने अभी तक कुल चार अलग श्रेणी (प्रकार) के ग्रीन क्रैकर्स बाजार में उतराने के लिए तैयार किये है।
ग्रीन पटाखे के यह सभी प्रकार निम्नलिखित है –
1. पानी उत्पन्न करने वाले ग्रीन पटाखे
जैसा की आपने पहले भी देखा या सुना होगा? की वातावरण से प्रदुषण को कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया गया था? जिससे की हानिकारक तत्व इनमें घुलकर नष्ट हो जाएँ। ठीक इसी तर्ज पर नीरी ने ऐसे पटाखे बनाने का फैसला लिया, जो खुद पानी उत्पन्न करते है और यही बात इन्हे सामान्य आतिशबाजी से खास और बेहतर बनती है।
नीरी के मुताबिक इस प्रकार के पटाखों को सेफ वॉटर रिलीज़र नाम दिया गया है। इनके जलने पर पानी के कणो का निर्माण होता है। और सभी हानिकारक गैसें, जैसे नाइट्रोजन, सल्फर, कार्बन मोनो ऑक्साइड, आदि इस पानी में घुलकर नष्ट हो जाएँगी।
2. कम नाइट्रोजन व सल्फर वाले ग्रीन पटाखे
इन गैसों के पानी में घुलकर नष्ट होने की बात जितनी सकारात्मक है। उतनी ही अच्छी बात यह भी है, की यदि यह हानिकारक गैसें ही कम मात्रा में उत्सर्जित हो? इसलिए नीरी द्वारा ऐसे पटाखे भी बनाये गए है। जिनमें कुछ खास रसायनों के प्रयोग से ऑक्सिडाइजिंग (आक्सीकरण) की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है।
जिससे की नाइट्रोजन और सल्फर जैसी हानिकारक गैसों का बनना कम किया जा सके। इन प्रकार के ग्रीन पटाखों को सेफ थर्माइट क्रैकर्स या STAR (स्टार) क्रैकर के नाम से जाना जायेगा।
3. कम एलुमिनियम से बने ग्रीन पटाखे
पारम्परिक पटाखों के निर्माण में प्रयोग किया जाने वाला एलुमिनियम भी कुछ कम नुक्शानदायक नहीं है। इसलिए एक कोशिश यह भी थी आतिशबाजियों को बनाने में इनका कम इस्तेमाल कैसे किया जाये? इसका हल भी नीरी के वैज्ञानिकों ने निकाल लिया है।
उन्होंने लगभग 50 से 60 प्रतिशत कम एलुनिनियुम का इस्तेमाल करके बढ़िया गुणवत्ता, और सामान्य पटाखों की तरह चलने वाले क्रैकर्स तैयार कर लिए है। चूँकि यह दूसरों से अधिक सुरक्षित है, इसलिए इनका नाम भी सेफ मिनिमल एलुमिनियम या SAFAL (सफल) रखा गया है।
4. खुशबू वाले ग्रीन पटाखे (अरोमा क्रैकर्स)
अक्सर आपने देखा होगा की पटाखे के जलने के बाद बहुत सारा धुआं और गैस के साथ ही बारूद के जलने की बुरी महक या बदबू आती है। पर अब ऐसा नहीं होगा, जी हाँ, क्योंकि ऐसे पटाखे भी बनाये गए है, जो जलने पर बारूद की गन्दी दुर्गन्ध न फैलाकर बढ़िया खुशबू फैलाएंगे।
इनसे विभिन्न प्रकार की और अलग अलग सुगंध वातावरण में बिखरेगी। साथ ही इनसे निकलने वाली हानिकारक गैसें भी बहुत कम मात्रा में उत्सर्जित होंगी। इन पटाखों को संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा अरोमा क्रैकर्स नाम दिया है।
ग्रीन क्रैकर्स व सामान्य पटाखों में अंतर
जैसा की हम आपको बता चुके है की बाजार में मिलने वाले सामान्य पटाखों से हर साल वातावरण पर होने वाले हानिकारक असर को कम करने के लिए ही यह नए किस्म के पटाखे भारतीय बाजारों में लाये जा रहे है। ऐसे में आपके मन में भी यह जानने की इच्छा होगी? की यह हरित आतिशबाजी (ग्रीन क्रैकर) कैसे उन सामान्य बम गोले व अन्य पटाखों से अलग है?
तो चलिए आपको जरा विस्तार से बताते है, इन दोनों में पाए जाने वाले मुख्य अंतरों को जो की इन नए और अनोखे पटाखों को पहले इस्तेमाल किये जाने वाली आतिशबाजियों से अलग बनाते है।
यह सभी अंतर नीचे दी गयी सूचियों में प्रदर्शित किये गए है –
1. परंपरागत पटाखे
- यह सामान्य रूप से कई प्रकार की हानिकारक धातुओं के मिश्रण से बनाये जाते है।
- इन पटाखों से बहुत अधिक मात्रा में गहरा धुआं व जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है।
- इन सभी आतिशबाजियों मे जलने पर प्रदुषण को बढ़ाने वाले तत्व निकलते है।
- इनमें से नाइट्रोजन और सल्फर जैसी गैसें अधिक मात्रा में उत्पादित होती है।
- इनमे एलुमिनियम जैसी हानिकारक धातु का बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है।
- इनसे पर्यावरण में ध्वनि प्रदुषण और वायु प्रदुषण अधिक मात्रा में फैलता है।
- इनसे दुर्गन्ध और गहरा धुआं निकलता है जो सेहत को बहुत नुक्सान पहुँचता है।
2. नए ग्रीन पटाखे
- यह नए किस्म के रसायनों व कम हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल करके बनाये जाते है।
- इन सभी पटाखों में 50 प्रतिशत तक कम धुआं और जहरीली गैसों का उत्पादन होता है।
- इन ग्रीन पटाखों के जलने से पानी बनता है जो प्रदुषण को घोल कर फैलने से रोकता है।
- इन सभी में सल्फर और नाइट्रोजन का उत्पादन 50 प्रतिशत तक कम होता है।
- नए प्रकार के ग्रीन क्रैकर में 50 प्रतिशत तक कम एलुमिनियम का इस्तेमाल होता है।
- इनसे फैलने वाला प्रदुषण 40 से 50 प्रतिशत तक कम नुकसानदायक होता है।
- इन नए ग्रीन पटाखों से कई तरह की सुगंध (खुशबू) और कम धुआं निकलता है।
ग्रीन पटाखे कब मिलेंगे?
पिछले गत वर्षों में जब कोर्ट के आदेश पर कुछ रसायनों के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध लगाया गया तब इनसे बनने वाले पटाखों की बिक्री और खरीद पर भी पाबन्दी लगा दी गयी जिससे पटाखा व्यवसाइयों के समक्ष आर्थिक नुकसान और रोजगार की समस्या खड़ी हो गयी थी। इसे नियंत्रित करने के लिए कोर्ट की तरफ से सिर्फ ग्रीन नॉर्म्स का पालन करने वाले हरित पटाखे बनाए जाने और बेचने का प्रस्ताव रखा गया।
जिसे नीरी ने पूरा किया, साथ ही उन्होंने इन आतिशबाजियों को बनाये जाने का तरीका पटाखा व्यवसाय से जुड़े कर्मियों को सीखाने का फैसला लिया। यह एक बेहतरीन कदम साबित हुआ। जिससे की पटाखा उद्योग से जुड़े लोगों को आर्थिक हानि और रोजगार छीनने जैसी परेशानी से बचाया जा सकें। यह कदम पूरे उद्योग का नक्शा बदलने वाला है।
इसलिए इसके क्रियान्वयन में कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा था। जिससे की बाजार में इन ग्रीन पटाखों के पहुंचने में देरी भी हुई, जिस वजह से पिछले साल यह बाजार का हिस्सा नहीं बन सके। पर वर्तमान ख़बरों से पता चला है, की इस साल 2020 में यह पटाखे आपको दुकानों पर खरीदने के लिए उपलब्ध होंगे।
ग्रीन पटाखे कहाँ मिलेंगे?
सरकार के आदेश अनुसार सभी ग्रीन नॉर्म्स (पर्यावरण सुरक्षा नियम) का पालन करने वाले नीरी द्वारा बनाये गए है। इसलिए यह नीरी की खोज होने के साथ ही सुरक्षित पर्यावरण की ओर एक सकारात्मक पहल भी है। क्योंकि वर्तमान समय में इस तरह के ग्रीन क्रैकर्स पूरे विश्व में कही भी इस्तेमाल नहीं होते है।
इसलिए भारत में इन्हे सफलता प्राप्त होने पर हम अन्य देशों को भी यह बेहतर सौगात प्रदान कर सकते है, जिससे भारत की ख्याति विश्व स्तर पर और अधिक मजबूत हो जाएगी। वर्तमान समय में यह सभी प्रकार के ग्रीन पटाखे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित हजारों पटाखा फैक्टरीयों में लाखों मजदूरों द्वारा बनाये जा रहे है।
यह सभी आतिशबाजियां इस वर्ष दीपावली के अवसर पर देश के कोने-कोने में मौजूद लगभग सभी पटाखा दुकानों पर उपलब्ध हो जाएँगी। जिससे की आप इन्हे आसानी से खरीदकर इनका भरपूर लुत्फ़ उठा सकते है। साथ ही इन्हे जलाने पर कोई विशेष पाबन्दी भी नहीं होगी जिससे की आप दिल खोलकर इनका इस्तेमाल कर सकते है।
ग्रीन पटाखे की कीमत क्या है?
इन ग्रीन पटाखों की इतनी सारी खूबियों के बारे में सुनकर आपके मन में यह प्रश्न भी उठ रहा होगा? की यह कितने मूल्य के होंगे? या इनका बाजार भाव क्या तय किया जायेगा? यह ग्रीन पटाखे आपकी जेब पर सस्ते पड़ेंगे या महंगे? तो आपके इन सभी प्रश्नों के उत्तर में हम आपको बताना चाहेंगे की, सीएसआईआर की पर्यावरण शाखा नीरी द्वारा इनकी कीमतों की घोषणा तो फिलहाल नहीं की गयी है।
इसलिए इन सभी के वर्तमान वास्तविक खुदरा मूल्य (रेट) के बारे में तो बता पाना मुश्किल होगा। इनके बाजार में पहुंचने के बाद ही इनकी असली कीमतों का पता लगाया जा सकेगा। पर नीरी की मुख्य वैज्ञानिक साधना रायालु ने इतना जरूर स्पष्ट किया गया है, कि इनमें इस्तेमाल होने वाले रसायन (कैमिकल) और अन्य तत्वों की मात्रा सामान्य आतिशबाजी में इस्तेमाल होने वाली मात्रा के मुकाबले 40 से 50 प्रतिशत तक कम प्रयोग की गयी है।
इसलिए इनकी कीमतों में काफी अंतर भी होगा, और यह सामान्य बम गोले और पटाखों से बहुत कम कीमतों पर उपलब्ध होंगे। इसलिए आप इनके अधिक महंगे होने का डर त्याग दें। क्योंकि यह आपकी जेब और बजट पर बिलकुल भी भारी नहीं पड़ने वाले है।
ग्रीन क्रैकर्स से लाभ क्या है?
चूँकि यह पटाखे सरकार द्वारा निर्धारित सभी ग्रीन नॉर्म्स का बखूबी पालन करते है। इसलिए इनसे नुकसान कम है। जिस वजह से इनके इस्तेमाल से होने वाले फायदे आपको जरूर नजर आएंगे। सबसे बड़ा फायदा तो है, हर साल पर्यावरण को पहुंचने वाली हानि में कमी होना। जिसे ध्यान में रखकर ही इन पटाखों का निर्माण किया गया है। साथ ही इसके अन्य लाभ भी है जिनके बारे में अब हम चर्चा कर रहे है।
ग्रीन पटाखों से होने वाले यह सभी फायदे निम्नलिखित है –
- हानिकारक गैसों का कम उत्सर्जन होना
- नाइट्रोजन व सल्फर की मात्रा में कमी
- जलने पर कम गहरा धुआं प्रदान करना
- वायुमंडल की हवा को कम प्रदूषित करना
- जलने पर पानी के कणो को उत्पन्न करना
- प्रदुषण व धुआं पानी में घुलकर नष्ट होना
- जलाये जाने पर अलग अलग खुशबू देना
- विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में कमी आना
- सांस व फेफड़ों से जुडी समस्याएं कम होना
- रक्तचाप व ह्रदय से जुडी समस्याएं कम होना
- ज्यादा हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल कम होना
- इन्हे बनाने में एल्युमियम का प्रयोग कम होना
- कम नुक्सानदायक रसायनों का इस्तेमाल होना
- इनसे निकलने वाला ध्वनि प्रदुषण नियंत्रित होना
- कान से जुडी समस्याओं में भी कमी आना
ग्रीन पटाखे कैसे जलाएं?
ग्रीन पटाखे कितने भी सुरक्षित क्यों न हों? पर चूँकि इन्हे जलाने में भी अन्य सामान्य पटाखों की तरह ही आग का इस्तेमाल होता है। इसलिए यह बेहद जरुरी है की इन आतिशबाजियों को जलाने में भी उतनी ही सावधानी बरती जाये। क्योंकि अन्य प्रकार की समस्याओं में कमी आने पर भी आग से जलने के मामलों में कुछ नहीं कहा जा सकता है।
अतः ग्रीन पटाखों को भी सुरक्षापूर्वक चलाना और सावधानी रखना बेहद जरूरी है। ऐसी ही कुछ सामान्य पर बेहद जरुरी सावधानियों के बारे में हम आपको बताने जा रहे है –
- पटाखों को जलाने के लिए किसी मोमबत्ती / दीपक का प्रयोग नहीं करें।
- सभी प्रकार की आतिशबाजियों को अपने कपडों से दूर रखकर चलाएं।
- पटाखों से भरे थैले या ढेर के पास कोई दीया, माचिस, मोमबत्ती न रखें।
- पटाखों को खुले में न रखें अन्यथा चिंगारी से आग लगने का खतरा होगा।
- छोटे बच्चों को हाथ में रखकर पटाखे या बम बिलकुल भी न चलाने दें।
- ऐसे कपड़ों को पहनने की गलती न करें जो जल्दी आग पकड़ लेते हों।
- आसमान की तरफ चलने वाले पटाखों (रॉकेट, अनार) को सीधा ही रखें।
- अनार, रॉकेट, या चकरी आदि को चलाते समय उचित दूरी बना कर रखें।
- किसी भी असावधान व्यक्ति के पीछे अचानक से कोई पटाखा मत फोड़ें।
- पटाखों को सावधानी पूर्वक जलाने के लिए पहले उनकी बत्ती छील लें।
- बम, पटाखा, राकेट आदि को जलाने के लिए अगरबत्ती का प्रयोग करें।
निष्कर्ष व परिणाम
ग्रीन पटाखे वातावरण में फैलने वाले प्रदुषण को कम करने के लिए नीरी के वैज्ञानिकों द्वारा की गयी एक महत्वपूर्ण पहल है। जिससे आगे आने वाले भविष्य में ईको फ्रेंडली (पर्यावरण सुरक्षित) दिवाली को मानाने का सपना भी पूरा हो सकेगा। जिससे लोगों की भावनाओं को आहात किये बिना ही उनकी सेहत को क्षति पहुंचने से भी रोका जा सकेगा। साथ ही निम्न वर्ग के लोगों का रोजगार भी सलामत रहेगा। जिससे विश्व के कोने कोने में एक सकारात्मक सोच को दिशा प्रदान की जा सकेगी। इसलिए इस दिवाली अपने परिवार और दोस्तों के साथ पटाखों का आनद लें और सुरक्षित रहें।