आजकल हमारे दैनिक क्रियाकलापों व नए-नए प्रकार के व्यवसायों के चलते वातावरण में विभिन्न प्रकार से बढ़ते शोर के कारण टिनिटस जैसी समस्या आम हो गयी है। जिससे पीड़ित व्यक्ति अपने सुनने की क़ाबलियत को काफी हद तक खोने की कगार पर है। तो इस समस्या के भयानक परिणाम से कैसे खुद को बचाया जाये? कैसे अपने कानो की सुरक्षा की जाये? आपके इन सवालों के जबाब में हम आपको बताना चाहेंगे की इस समस्या का इलाज आपके आसपास ही है। जी हाँ, टिनिटस का आयुर्वेदिक इलाज द्वारा निवारण संभव है, क्योंकि आयुर्वेद की शक्ति से इस समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
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इससे पहले की हम इसके इलाज की बात करे, आइये आपको बताते है की टिनिटस की समस्या क्या है? और कैसे यह आपको तकलीफ पंहुचा सकती है? साथ ही इसका उपचार भी जानिए।
इस लेख में हम चर्चा करेंगे :
टिनिटस क्या है?
टिनिटस यूँ तो एक आम समस्या है पर इसे नजरअंदाज करने पर यह कभी-कभी जटिल रूप भी धारण कर सकती है। टिनिटस को आम भाषा में “कान का बजना” या “रिंगिंग” कहा जाता है। इस समस्या के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को अपने कान में कुछ अजीब प्रकार की आभासीय ध्वनियाँ सुनाई देती है। यह ध्वनियाँ किसी भी प्रकार के बाहरी स्त्रोत से उत्पन्न नहीं होती है। यह आपका भ्रम या पागलपन बिलकुल नहीं हैं। इस प्रकार की ध्वनियाँ सिर्फ पीड़ित व्यक्ति को अपने आंतरिक कान में सुनाई देती है। जिनके अंतर्गत आपको अपने कान में निम्न प्रकार की ध्वनियाँ महसूस हो सकती है –
- रिंगिंग – कान में घंटियां बजना
- बज्ज – कान में भिनभिनाहट होना
- हरसिंग – कानो में हिस्स की ध्वनि होना
- चिर्पिंग – कानो में कुछ चरमराने की ध्वनि होना
- व्हिस्टलिंग – कानो में सीटी बजना
टिनिटस का आयुर्वेदिक इलाज
टिनिटस से राहत पाने और उसे कम करने के लिए टिनिटस के लक्षण के साथ-साथ आपको जरुरी उपचार भी पता होने चाहिए।टिनिटस का आयुर्वेदिक उपचार की सहायता से आप टिनिटस के प्रभाव से लड़ सकते है। हालाँकि टिनिटस कोई गंभीर समस्या नहीं है। जब तक आप इसके प्रति लापरवाही न बरते और इसे बढ़ने का अवसर न दें। इसलिए इस समस्या से घबराएं नहीं और इससे निजात पाने के उपायों की तरफ ध्यान दें।
टिनिटस का आयुर्वेदिक इलाज निम्नलिखित है –
- जिन्कगो बिलोबा
- सेब का सिरका (एप्पल साइडर)
- तुलसी (बेसिल)
- प्याज (ओनियन)
- अदरक (जिंजर)
तो चलिए अब बारी बारी से जानते है की यह टिनिटस का आयुर्वेदिक इलाज कैसे काम करते है? जो इस समस्या को आसानी से समाप्त कर सकते है।
1. जिन्कगो बिलोबा
रक्त के प्रवाह (रक्तचाप) में हुई अनावस्यक वृद्धि को कम करने और आपके कान में सुनाई देने वाली ध्वनि को कम करने के लिए यह एक कारगर औषधि है। यह आपके रक्त के प्रवाह द्वारा आपकी स्मृति और सोच में भी सुधार करता हैं। यह रक्तचाप को सामान्य करके आभासीय ध्वनियों की संवेदना को काफी हद तक नियंत्रित करता है। इसके जीवाणुरोधी व फंगस को समाप्त करने के गुण किसी भी प्रकार के संक्रमण जनित टिनिटस को समाप्त करता है। इसके लिए आपको जिंकगो बिलोबा की कुछ बूंदें (3-4 बूँद) पानी में डालकर दिन में तीन बार सेवन करनी है। इस विधि से आपको कुछ ही हफ़्तों में टिनिटस से पूर्ण रहत मिल जाएगी।
इस बात का ध्यान रखें की टिनिटस की समस्या से पीड़ित बच्चों को यह औषधि नहीं देनी है।
2. सेब का सिरका
सेब के सिरके में ज्वलनरोधी, दर्द-निवारक, व फंगसरोधी गुण होते है जो इस टिनिटस के विरुद्ध एक बेहतर औषधि बनता है। यह संक्रमण जनित टिनिटस का इलाज भी करता है। यह आपके शरीर में निहित क्षारीय तत्वों के स्तर को नियंत्रित रखता है। इसके लिए आपको एक ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका डालकर उसमे एक चम्मच शहद मिलाकर इस मिश्रण को रोज 2 या 3 बार पीना है। जब तक आपको होने वाली टिनिटस की समस्या समाप्त न हो जाये।
3. तुलसी
वैसे तो तुलसी में कई प्रकार के औषधीय गुण होते है। पर तुलसी के जीवाणुरोधी गुण इसे एक अचूक औषधि बनाते है। यह आपके कान में होने वाले संक्रमण को पैदा करने वाले जीवाणुओं को समाप्त कर देता है। जिससे संक्रमण से होने वाले टिनिटस का खतरा नहीं रहता। इसके लिए आपको तुलसी की पत्तियों को पीस कर उनका पेस्ट बनाना है फिर उस पेस्ट से निकले रस को माध्यम आंच पर हल्का गर्म (गुनगुना) करना है। और फिर इस रस की 2 से 3 बूँद दिन में 2 बार प्रभावित कान में डालें। यह आपको बहुत आराम पहुँचायेगा।
4. प्याज
प्याज भी आपको टिनिटस की समस्या से राहत पाने में बहुत मदद करता है। यह भी समस्या का प्रभाव समाप्त करने वाला टिनिटस का आयुर्वेदिक इलाज में से एक है। इसके लिए आपको एक ताजा प्याज को पीसकर उसके रस को निकलना है। फिर इस रस को गर्म करके ठंडा होने के लिए रख दें। इस रस की 2 से 3 बूँद प्रभावित कान में डालें, और कुछ मिनट के लिए इसे छोड़ दें। टिनिटस की समस्या से छुटकारा पाने के लिए इस विधि को सप्ताह में कई बार दोहराएं।
5. लहसुन
कम तापमान की वजह से या फिर ठण्ड के मौसम में कानदर्द और टिनिटस की समस्या हो जाती है। ऐसे में लहसुन आपकी बहुत सहायता कर सकता है। क्योंकि लहसुन आपके शरीर में रक्त के संचरण (खून के बहने) में वृद्धि करता है। साथ ही इसके जीवाणुरोधी गुण टिनिटस की समस्या से राहत दिलाते है। इसके लिए तिल के तेल में लहसुन की दो कलियों को बारीक कर के डाल दें। फिर इस तेल को हल्का गर्म (गुनगुना) करें। वैसे तो आप किसी भी तेल का प्रयोग कर सकते है पर तिल का तेल अधिक उपयुक्त है। इस तेल की 2 से 3 बूँद प्रभावित कान में डालें। और आप चाहें तो हर रात इस विधि को दुहरा सकते है। या फिर जब तक आपको टिनिटस की समस्या से निजात न मिल जाये।
6. अदरक
अदरक एक बेहद जरुरी औषधि है। क्योंकि इसमें रोग हरने की क्षमता होती है। साथ ही यह अपने दर्द-निवारक गुण के कारण अधिक प्रयोग की जाती है। यह आपके शरीर में खून के बहाव को संतुलित करने का काम भी करती है। यह टिनिटस के कारण होने वाले कान के दर्द को काफी हद तक कम करती है। इसकी खासियत यह है की आप इसे मनचाहे प्रकार से ले सकते है। जैसे की – चाय के साथ या फिर चबाकर। इसके लिए आप अदरक के एक छोटे टुकड़े को एक कप पानी में डालकर उबालें और फिर उसमे शहद मिलाकर पियें। यह तरीका भी आपको जल्द राहत पहुंचायेगा।
निष्कर्ष व परिणाम
टिनिटस की समस्या एक बेहद आम परेशानी है। जो लगभग सभी लोग अपने जीवन में कभी न कभी महसूस करते है। पर इस समस्या की ओर ध्यान न देना या फिर लापरवाही करना खतरनाक हो सकता है। क्योंकि यह समस्या समय के साथ गंभीर भी हो सकती है। इसलिए सही समय पर इसका उचित इलाज करवायें। या फिर आप इन उपचारों की सहायता भी ले सकते है। ऊपर दिए सभी आयुर्वेदिक उपचार पूरी तरह से सुरक्षित है। फिर भी हम आपको सलाह देंगे की किसी भी उपचार को करने से पहले अपने डॉक्टर या किसी अनुभवी व्यक्ति की सलाह अवस्य लें। बेहतर सुने व स्वस्थ्य रहें।
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